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मेरी कहानी मेरी जुबानी - पार्ट 2

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मेरी कहानी मेरी जुबानी - पार्ट 2  आशा पार्क में  रहने से पहले हम सभी परिवार सहित सुभाष नगर में  थे।  सुभाष नगर के 8 ब्लॉक में मेरे दादाजी  जी की किरयाने की दूकान थी जहा पर मेरे बचपन के 12 साल बीते। दादाजी दूकान पर अक्सर शाम को बैठा करते क्योकि उस वक़्त ग्राहक अधिक हो जाते थे उस वक़्त मैं भी उनकी सौदा तोलने में मदद किया करता था  आमतौर पर वह अपनी गद्दी पर बैठ जाते मेरे चाचा और मैं ग्राहकों को सामान देने में और पैसे लेने में मदद  किया करते।  दादाजी जब गद्दी पर बैठते तो मैं एक बात पर मन ही मन हँसता था क्योकि उनकी एक अजीब आदत थी,  वैसे तो उनको बुढ़ापे के कारण उन्हें कम  सुनाई देता था, पर जब कोई ग्राहक आटा तोलने को कहता तो वो उससे बड़े ही अंदाज से अपना हाथ घुमा कर पूछते " ओये किन्ना आटा लैना है ? इक किलो या पंज किलो " इस तरह से पूछने से आटा लेने वाला 1 किलो की बजाये 5 किलो आटा ले जाता या ग्राहक अगर एक किलो कहता तो भी वह पांच किलो तुलवा देते , यह कह कर कि उन्हें काम सुनाई देता हैं , मैं इस तरकीब पर मैं मन ही मन हँसता।  हालिका आज मैं सोचता हूँ कि  वक़्त मेरी उम्र क्या रही होगी शायद 1

मेरी कहानी मेरी ज़ुबानी पार्ट - 1

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मेरी कहानी मेरी  ज़ुबानी पार्ट - 1  दोस्तों अपने जीवन की कहानी आज आप सब को कहने जा रहा हूँ, यह फैसला बहुत कुछ सोचने के  बाद मैने  लिया क्योकि  वो कहते हैं  न कि अपना दर्द बाँटने से से काम होता है, … बस इसलिए यह एक जरिया लगा अपने आप को कहने का।  मैं कोई professional लेखक नहीं हूं इसलिए जैसे - जैसे याद आता रहेगा  वैसे - वैसे मैं  इसे अपने शब्दों में बंया  करता जाऊंगा, हो सकता इस दौरान मेरे कारण किसी को परेशानी हो, पर यह मेरा अपना सच है, जिसे मैंने जिया है।  वैसे इस दुनिया में मेरा अपनी पत्नी और बच्चो  के सिवा कोई नहीं जिसे मैं अपना कह सकू। इसलिए कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।  मेरा जन्म एक मिडिल क्लास फैमली मैं हुंआ आज मैं 43  साल का हूँ।  मेरे परिवार में माता-पिता के अलावा हम तीन भाई और एक बहन हुआ करती थी।  थी से मतलब अभी तक इस दुनिया में मेरे पिता को छोड़ कर सभी इस दुनिया में जीवित है।  … पर अब वो रिश्ते कुछ  और ही है। ....   वो समय सन  1985 का था , मेरे पिताजी DCM क्लॉथ मील कंपनी में कंपनी सेक्रेटरी के पोस्ट पर काम किया करते थे। रोज की दिनचर्या में वह सुबह ठीक 8. 30 पर अपन

दो मिनट का मोन रखगे।

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  बीवी : तुम्हे कुछ याद भी  रहता हैं ? आज हमारी मैरिज एनीवर्सरी हैं। पति : ओह, मैं तो भूल ही गया था। आओ दो मिनट का  मौन  रखगे।

आज का जोक : मम्मी ने पूछा पेपर कैसा था

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आज का जोक : मम्मी ने पूछा पेपर कैसा था  टीचर : सेमेस्टर सिस्टम से क्या फायदा है ? पप्पू : फायदा तो पता नहीं, पर बेइज्जती साल में दो बार हो जाती है।  ================================================ मम्मी : पेपर कैसा था ? बेटा : पतला था, वाइट कलर का।  फिर दे …...थपपड़ पे थपपड़ . …...थपपड़ पे थपपड़।।।।। मम्मी फ़िर  से बता ? बेटा : ठीक हुआ, बता तो रहा था।  

रिश्ते मुनाफा नहीं देते

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 रिश्ते मुनाफा नहीं देते किसी की मजबूरियाँ पे न हँसिये, कोई मजबूरियाँ ख़रीद कर नहीं लाता..! डरिये वक़्त की मार से, बुरा वक़्त किसी को बताकर नही आता..! अकल कितनी भी तेज ह़ो, नसीब के बिना नही जित सकती..! बिरबल अकलमंद होने के बावजूद, कभी बादशाह नही बन सका...!!" "ना तुम अपने आप को गले लगा सकते हो, ना ही तुम अपने कंधे पर सर रखकर रो सकते हो ! एक दूसरे के लिये जीने का नाम ही जिंदगी है! इसलिये वक़्त उन्हें दो जो तुम्हे चाहते हों दिल से! रिश्ते पैसो के मोहताज़ नहीं होते क्योकि कुछ रिश्ते मुनाफा नहीं देते पर जीवन अमीर जरूर बना देते है !!! !!!!!!!!!!!!

आज का जोक और ज्ञान :

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आज का जोक और ज्ञान : अगर आपकी गर्ल फ्रेंड  आपका मजाक सीरयस लेने लगे।  तो मेरे भाई समझ लीजिये।  की उसे कोई दूसरा मिल गया है।  वो बस अब बहाना  ढूंढ रही है,  आप से  पीछा छुड़ाने का