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क्योकि मैं " पुरुष " हूँ...

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क्योकि मैं " पुरुष " हूँ...  मैं भी सताया जाता हूँ, जला दिया जाता हूँ  उस दहेज की आग में, जो कभी माँगा ही नहीं था  स्वाह कर  दिया जाता है मेरे उस मान सामान का  तिनका -तिनका कमाया था जिसे मैने मगर आह नहीं भर सकता क्योकि  मैं  "पुरुष " हूँ। ...     मैं भी देता हूँ आहुति, विवाह की अग्नि में अपने रिश्तो की  हमेशा धकेल दिया जाता हूँ , रिश्तो का वजन बांध कर  जिम्मेदारियों की उस कुंए मैं, जिसे भरा नहीं जा सकता  बहुत मजबूत होने का ठप्पा लगाए जीता जाता हूँ  क्योकि मैं  " पुरष " हूँ। ...  हाँ मेरा भी होता हैं बलात्कार, उठा दिए जाते हैं, मुझ पर भी कई हाथ, बिना वजह जाने  बिना बात की तह नापे लगा दिया जाता है  सलाखों के पीछे, कई धाराओं मैं  क्योकि  मैं " पुरुष " हूँ  सुना जब मन भरता है, तब आँखों से बहता है  मर्द होकर रोता हैं, मर्द को दर्द कब होता है  टूट जाता है तब मन से, आँखों का वो रिश्ता  तब हर कोई कहता है... तो सुनो। ...  सही गलत को  हर स्त्री स्वेत स्वर्ण नहीं होती, न ही हर पुरष स्याह कालिक  मुझे सही -गलत कहने वाले, पहले मेरी हालत नहीं जांचते  क्योकि मैं

देखे प्रकृति के सुन्दर नज़ारे हमारे साथ।

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देखे प्रकृति के सुन्दर नज़ारे हमारे साथ।  

प्रेरणादायक विचार आपके लिए आपके कैरियर के लिए।

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प्रेरणादायक विचार आपके लिए आपके कैरियर के लिए। 

सुखद यादे - काव्य की

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सामने हो मंजिल तो रास्ते ना मोड़ना जो भी मन में हो वो सपना मत तोड़ना कदम कदम पर मिलेगी मुश्किल आपको बस सितारे छूने के लिए जमीन मत छोड़ना पंखो से हौसलों की उडान होती है बुलनदियों को छू कर वही लोग जाते हैं जिनके हौंसलों में जान होती हैै. होसलो को अपने ये मत बताओ, कि तुम्हारी तकलीफ कितनी बड़ी… बल्कि अपनी तकलीफ को बताओ, कि तुम्हारा हौसला कितना बड़ा है… आंधियो में पेड़ लगाए रखना,दलदल में पैर जमाए रखना,कौन कहता है छलनी में पानी नहीं ठहरता बस बर्फ जमने तक हाथों को थमाए रखना.... मांझी तेरी किस्ती में तलाबदार बहुत है...कुछ उस पार तो कुछ इस पार बहुत है..तूने जिस शहर में खोली है शीशे की दुकान उस शहर में पत्थर के खरीददार बहुत हैं... कुछ बनो ऐसा की दुनिया बनना चाहे आपके जैसा।।

1971 के भारत -पाक युद्ध के बाद इस पर भारत का नियंत्रण और उसके खूबसूरत नज़ारे

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नमस्कार दोस्तों , यह वीडियो मेरे एक मित्र ने मुझे भेजी जिसे आप सबसे शेयर कर रहा हूँ। यह  लद्दाख के लेह जिले का एक गांव है और भारत की आखरी पुलिस चौकी, उसके बाद पकिस्तान नियंत्रित गिलगित -बलिस्तान शुरू होता है। यह लेह से 205  किलोमीटर दूर नुब्रा तहसील में स्थित है। यहाँ के  खूबसूरत नज़ारे आपको यहाँ जरूर ले जायेंगे।  यह पर 300 साल पुराने पत्थर से और पीतल बने बर्तनो का एक म्यूसियम  बनाया गया है और दूर दूर  तक के नज़ारे आपका मन मोह लेंगे। 1971 के भारत -पाक युद्ध के बाद इस पर भारत का नियंत्रण और उसके खूबसूरत नज़ारे वीडियो देखे के लिए यहाँ क्लिक करे 

तुम्हारी बहुत याद आती है।

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unbelievable-hindi.blogspot.com 1)याद आती है आज भी वो गर्मी की धूप, जिस पल में मैंने तेरी तस्वीर दिल में बसा ली थी, कुछ तो नूर था खुदा का तेरे चेहरे में, मेरी हर सांस को एक नजर में तुम अपना बना ली थी, पर अब जाने क्यों हर पल दम घुटने लगा है मेरा, हवाओं के शिखर पे हूं खड़ा पर सांस नहीं आती है, तुम्हारी बहुत याद आती है.... 2)वो पहली दफा था जब किसी अजनबी की शक्ल पढ़ी थी मैंने, जाने कैसे पर अंदर तक तुझे महसूस किया था मै, कैसे कोई किसी की हर सांस पे हुकूमत कर सकता है, अपनी सांसें तेरे नाम कर के ये समाज पाया था मै, जिसको में मेरे अभी भी धड़कन दौड़ती है, पर सांसें चलने को बस तेरी इजाज़त चाहती है, सुनो ना..तुम्हारी बहुत याद आती है। 3)बड़ा ही मुश्किल वक्त था वो, जब मैंने एक चेहरे को देख के कुछ महसूस किया था, जज़्बात कुछ यूं इन लबों के बीच दब के रह गए थे, तुझ तक पहुंचा सकु उन्हें ऐसा जरिया ढूंढ़ रहा था, वो तो तेरी मोहब्बत थी जो मै हाल - ए - दिल कह पाया तुझसे, और वो तेरी मोहब्बत ही है जो आज बहुत रुलाती है मुझे, सच में तुम्हारी बहुत याद आती है..... 4) जाने कितने दिलो