संदेश

story लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सुखद यादे - काव्य की

चित्र
सामने हो मंजिल तो रास्ते ना मोड़ना जो भी मन में हो वो सपना मत तोड़ना कदम कदम पर मिलेगी मुश्किल आपको बस सितारे छूने के लिए जमीन मत छोड़ना पंखो से हौसलों की उडान होती है बुलनदियों को छू कर वही लोग जाते हैं जिनके हौंसलों में जान होती हैै. होसलो को अपने ये मत बताओ, कि तुम्हारी तकलीफ कितनी बड़ी… बल्कि अपनी तकलीफ को बताओ, कि तुम्हारा हौसला कितना बड़ा है… आंधियो में पेड़ लगाए रखना,दलदल में पैर जमाए रखना,कौन कहता है छलनी में पानी नहीं ठहरता बस बर्फ जमने तक हाथों को थमाए रखना.... मांझी तेरी किस्ती में तलाबदार बहुत है...कुछ उस पार तो कुछ इस पार बहुत है..तूने जिस शहर में खोली है शीशे की दुकान उस शहर में पत्थर के खरीददार बहुत हैं... कुछ बनो ऐसा की दुनिया बनना चाहे आपके जैसा।।

सच्चा कौन झूठा कौन - फैसला आपका

नमस्कार दोस्तों , आज दो  वीडियो मुझे मेरे मित्र ने भेजा जिसमे यह आपको सच ढूंढ़ना होगा की पेशेंट ठीक कह रहा है या डॉक्टर।  जहा डॉक्टर यह कह रहा है कि उनके पास कॅरोना से लड़ने और मरीज का इलाज करने के लिए जरूरी संसाधन नहीं है वही मरीज़ इस बात से परेशान है कि जाये तो जाये आखिर कहा ?  इसका उत्तर तो मेरे पास भी नहीं है।   दिल्ली का  यह पेशेंट रोहतास नगर विधान सभा के अशोक नगर का मकान नंबर डी 1 /132 का वीडियो है , जिसमे महिला अपने पति और बेटी, जिसे क्रोना पॉसिटिव पाया गया है , अपनी परेशानी  बंया कर रही है।  वीडियो देखने के लिया निचे  क्लिक करे।      डॉक्टर का रवैया देखे जब उनसे इलाज के लिए कहा तो वह कैसे सब स्टाफ के साथ अपना दुखड़ा रोने लगे। वीडियो को देखने के लिए निचे क्लिक करे।   अपने कमैंट्स जरूर शेयर करे। 

कौआ बिरयानी और काग स्नान महत्व

चित्र
                                                https://unbelievable-hindi.blogspot.com/ कौआ बिरयानी और काग स्नान क्या  कभी सुना है आपने इसके बारे में ?  इस लेख को पढ़ते हुआ आपको याद आया होगा फिल्म "RUN "का वो सीन जिसमे एक युवक अपने गांव से शहर आता है और भूख  लगने पर सड़क पर खड़ी एक ठेली से खाने के लिए चिकन बिरयानी की मांग करता है और खाने के बाद उसकी आवाज कौए जैसी हो जाती है।  बाद में उसे अहसास होता है कि उसे चिकन बिरयानी के नाम पर धोखे से कौआ बिरयानी खिला दी गयी है। लेकिन आज हम यहाँ बात कर रहे है एक स्नान की जिसे कौआ स्नान या काग स्नान कहा जाता है इसके बारे में मेरे एक मित्र से जानकारी प्राप्त हुई जिसे मै आपके साथ बाँटने जा रहा हूँ क्यों कि शरद के इस मौसम में इसका विशेष महत्व है।  कैसे ? यह मैं उसी मित्र के शब्दों मे यह कहानी उसके शब्दों में आपके सामने रखता हूँ जैसे उसने मुझे बताया।   मेरे दादा पुराने परोहित रहे है।  उन्होंने मुझे बताया कि शरद ऋतु में काग स्नान का बड़ा महत्व है और यह शास्त्रों से भी मान्यता प्राप्त है।  उस दिन उन्हें कही रामायण पाठ के लिए जाना था तो उ

जहाज़ का भूत

चित्र
"भू ...... भू ......भूत  भट्टी में भुत"  कहते हुए रीना गिरने लगी।  वह बुरी तरह से बौखलाई हुई  थी।  फ्लाइट इंजीनियर ने उसे जल्दी से दोनों हाथों में संभाल लिया फिर पूछा इतनी घबराई क्यों हो- "भट्टी में भुत है सर" "क्या बकवास है ? मन में एक बार को फ्लाइट इंजीनियर अर्जुन ताव खा गया और शायद उसे डांट भी देता।  वह भुत जैसी धारणा पर यकीन नहीं रखता था फिर सोचा कि शायद वहां कोई छुप गया हो।  अर्जुन तुरंत रीना  के साथ भंडार -ग्रह जा पहुंचा।  लेकिन यह क्या ? वह भी हैरान रह गया,  जब भट्टी झाकते एक चेहरे पर उसकी नजर गई। अर्जुन को अपनी आंखों पर यकीन नहीं होता रहा था। "जेट जलने वाला है सावधान " उस चेहरे के होंठ  हिले।  इसके साथ ही वह चेहरा अपने स्थान पर ही गायब हो गया।   उसके कहे शब्द अर्जुन डिंक्स और रीना दोनों ने ही सुने थे।  ऐसा तो रीना  ने भी होश खोया था , जैसे अर्जुन  का हाल था।  वह अभी भी भट्टी को घूरे जा रहा था। रीना ने उसे कई आवाजे दी पर अर्जुन जैसे कही को गया था। आखिर में रीना ने झुंझलाकर अर्जुन को उसकी बाह पकड़कर झकोर डाला। वह पुकार थी " म

मेरी कहानी मेरी जुबानी पार्ट - 5

चित्र
मेरी कहानी मेरी जुबानी पार्ट - 5 बात है  1990   की मैंने हाई स्कूल  पास किया  और जैसा कि आप जानते है युवावस्था का अपना ही एक जोश होता है,    कुछ  कर गुजरने की तमन्ना होती है, और मन मष्तिक में एक नई  उमंग तरंग होती  है,  एक नई ताजगी और आजादी  का एहसास भी होता है।  याद  कीजिये उस समय और अहसास को।  सबका एक जैसा हाल होता है।    सो मेरा भी कुछ ऐसा  ही हाल था . लेकिन  जिंदगी मेरा  हाथ पकड़ कर   किस और ले  जाने जा रही है उसकी रुपरेखा  तो वो ही जानती थी,  अब  इस बात का  एहसास तो किसी  को नहीं होता ना और अगर पता होता तो हर कोई अपनी जिंदगी अपने अनुसार आसान  नहीं बना लेता।   अगले कुछ महीनों में मेरे साथ क्या होना था यह तो केवल  ईश्वर ही जानता था । लेकिन आगे बढ़ने से पहले परिवार का परिचय बाकी  है।     जैसा  कि मैंने पहले बताया हम तीन भाई और  बहन और मॉम डैड को मिलाकर 6 जनों का परिवार था  जिसमें बहन चौथे नंबर यानी की सबसे छोटी बहन थी । हम  तीन भाइयों के बाद बहन का जन्म हुआ था इसलिए घर की लाडली थी । सच  कहूं तो जितना प्यार दुलार मेरी बहन को मां-बाप और भाइयो से मिला उसकी ख़ुशी जरूर है पर अ

मेरी कहानी मेरी ज़ुबानी पार्ट - 1

चित्र
मेरी कहानी मेरी  ज़ुबानी पार्ट - 1  दोस्तों अपने जीवन की कहानी आज आप सब को कहने जा रहा हूँ, यह फैसला बहुत कुछ सोचने के  बाद मैने  लिया क्योकि  वो कहते हैं  न कि अपना दर्द बाँटने से से काम होता है, … बस इसलिए यह एक जरिया लगा अपने आप को कहने का।  मैं कोई professional लेखक नहीं हूं इसलिए जैसे - जैसे याद आता रहेगा  वैसे - वैसे मैं  इसे अपने शब्दों में बंया  करता जाऊंगा, हो सकता इस दौरान मेरे कारण किसी को परेशानी हो, पर यह मेरा अपना सच है, जिसे मैंने जिया है।  वैसे इस दुनिया में मेरा अपनी पत्नी और बच्चो  के सिवा कोई नहीं जिसे मैं अपना कह सकू। इसलिए कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।  मेरा जन्म एक मिडिल क्लास फैमली मैं हुंआ आज मैं 43  साल का हूँ।  मेरे परिवार में माता-पिता के अलावा हम तीन भाई और एक बहन हुआ करती थी।  थी से मतलब अभी तक इस दुनिया में मेरे पिता को छोड़ कर सभी इस दुनिया में जीवित है।  … पर अब वो रिश्ते कुछ  और ही है। ....   वो समय सन  1985 का था , मेरे पिताजी DCM क्लॉथ मील कंपनी में कंपनी सेक्रेटरी के पोस्ट पर काम किया करते थे। रोज की दिनचर्या में वह सुबह ठीक 8. 30 पर अपन

"यस, फ्रेंड्स अगेन !" Friends Again (Part 1)

चित्र
"यस, फ्रेंड्स अगेन !" Friends Again दफ्तर में जैसे ही पहुंची, तो दूर से बॉस चले आ रहे थे! मैंने "गुड मॉर्निंग " कहा ! वो मुस्करा रहे थे  ! कुछ ज्यादा ही, जैसे कोई बिल्ली दूध चाटने के बाद मूंछे हिला रही हो !ऐसा क्या राज़ था भाई ! अपने केबिन पहुंची तो देखती हूँ कि , मेज़ पर एक लिफाफा रखा है ! फूलो का गुलदस्ता, चॉकलेट का डिब्बा और मेरा फेवरेट-"चॉकलेट किंग" ! लिफाफा खोला तो यकीन ही नहीं हुआ ! मेरा परमोशन हो गया था और मेरी सैलेरी भी बढ़ा दी गयी थी 25 % ! मैंने अकेले में, ये सोचकर कि कोई देख नहीं रहा है, कॉलेज के दिनों के टाइप का छोटा-सा ख़ुशी का डांस किया तो पीछे से बॉस की हंसी सुनाई पड़ी ! खड़े-खड़े देख रहे थे ! बोले "कांग्रेचलेशन्स ! तुम ये सब डिजर्व करती हो ! आज जल्दी घर चली जाना और पार्टी करना। … सारी रात.… बॉयफ्रैन्ड के साथ ! हैव फन !" घर की और ड्राइव करते-करते मै हलके से टोंट करती हुई मुस्करा रही थी, "बॉयफ्रेंड!" बड़े शहरो में  करियर कि ऊँची-नीची लहर पर तैरते लड़के--लड़कियो की किस्मत में बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड कहा होते है ?  कि

विरासत (पार्ट - 2 )

                                      विरासत (पार्ट - 2 ) तीन दिन गुजर गए ! बैंक ने जो 18 दिनों दिए थे, वो अब 15 रह गए ! अनिर्बान कुछ उधेड़बुन में लगा रहता था ! एक दिन सोमवार को जब डॉक्टर बनर्जी क्लीनिक से वापस आए, तो वो उनका इंतजार कर रहा था ! बड़ा खुश था ! बोला "पापा मुझे रास्ता मिल गया है !" डॉक्टर बनर्जी ने कह, " में जानता था बेटा तू ही बचायेगा हमें" अनिर्बान बोला, "नीचे मेरे कॉलेज टाईम का दोस्त पुनीत अरोड़ा आया हुआ है ! अब शहर का सबसे बड़ा बिजनेसमैन है! डेढ़ सौ करोड़ का टर्नओवर है इनका! ये लोग यहाँ एक प्राइवेट हॉस्पिटल खोलना चाहते है ! एक साल में बन जायेगा ! आप चेयरमैन रहोगे, में सीईओ और कंपनी में 25 % शयेर हमारा !" डॉक्टर बनर्जी को यकीन ही नहीं हुआ कि ये उनका बेटा कह रहा था ! बस उसे देखते रहे और बोलो, " तूने एक बिजनेसमैन को कह दिया है कि वो हमारी जमीन पर एक प्राइवेट हॉस्पिटल  बना सकता है ? अनिर्बान, दिस इज अ जोक, राइट ?" अनिर्बान ने कहा, "जोक तो हम लोग बन गए है पापा ! आप पिछले तीस साल से चालीस रूपए लेकर मरीजो को देख रहे है

विरासत (पार्ट -1 )

चित्र
                          विरासत (पार्ट -1 ) बस अड्डे पर उस दिन कुछ ज्यादा ही भीड़ थी ! बुधवार जो था ! हफ्ते के उन दो दिनों में से एक जब डॉक्टर बनर्जी पुराने शहर में अपनी क्लीनिक में बैठते थे ! सोमवार और बुधवार को दूर -दूर से मरीज आते थे और सुबह से डॉक्टर साहेब की क्लीनिक में लाइन लग जाती थी कई पश्तो से आ रहे थे डॉक्टर बनर्जी के पिता सीनियर डॉक्टर बनर्जी भी शहर के मशहूर डॉक्टर थे ! डॉक्टर बनर्जी दिल के मरीज थे ! पर छुपाकर सारी चीजे खा लेते थे, जो उन्हें मना थी ! परिवार जैसा नाता रखते थे मरीजो से ! पूछते थे, "क्या हुआ इतनी जल्दी क्यों हैं ब्याहने की ?" पचास साल से शहर और दूर-दूर दे कई और शहरो के लोगो का इलाज किया था ! जानलेवा से जानलेवा, लाइलाज से लाइलाज मर्ज ठीक होते थे यहाँ ! बनर्जी क्लीनिक में आना हजारो परिवारो के लिए था,  जैसे काली माता के मंदिर में जाकर प्रसाद चढ़ाना ! फिर सीनियर डॉक्टर बनर्जी एक दिन जाड़े की सुबह गुजर गए ! लेकिन अपना सारा ज्ञान तब से अपने बेटे डॉक्टर प्रमोद बनर्जी के हाथो सौंप गए थे ! कहते थे, "डॉक्टर होने के लिए सिर्फ ऍम बी बी एस की फ