विरासत (पार्ट - 2 )
विरासत (पार्ट - 2 )
तीन दिन गुजर गए ! बैंक ने जो 18 दिनों दिए थे, वो अब 15 रह गए ! अनिर्बान कुछ उधेड़बुन में लगा रहता था ! एक दिन सोमवार को जब डॉक्टर बनर्जी क्लीनिक से वापस आए, तो वो उनका इंतजार कर रहा था ! बड़ा खुश था ! बोला "पापा मुझे रास्ता मिल गया है !"
डॉक्टर बनर्जी ने कह, " में जानता था बेटा तू ही बचायेगा हमें" अनिर्बान बोला, "नीचे मेरे कॉलेज टाईम का दोस्त पुनीत अरोड़ा आया हुआ है ! अब शहर का सबसे बड़ा बिजनेसमैन है! डेढ़ सौ करोड़ का टर्नओवर है इनका! ये लोग यहाँ एक प्राइवेट हॉस्पिटल खोलना चाहते है ! एक साल में बन जायेगा ! आप चेयरमैन रहोगे, में सीईओ और कंपनी में 25 % शयेर हमारा !"
डॉक्टर बनर्जी को यकीन ही नहीं हुआ कि ये उनका बेटा कह रहा था ! बस उसे देखते रहे और बोलो, " तूने एक बिजनेसमैन को कह दिया है कि वो हमारी जमीन पर एक प्राइवेट हॉस्पिटल बना सकता है ? अनिर्बान, दिस इज अ जोक, राइट ?"
अनिर्बान ने कहा, "जोक तो हम लोग बन गए है पापा ! आप पिछले तीस साल से चालीस रूपए लेकर मरीजो को देख रहे है ! गरीबो को ईलाज फ्री में करते है ! शहर के सारे डॉक्टर हँसते है हम पर, पता है ?कहते है, शहर एक नहीं दो सस्ते सरकारी हस्पताल है - सिविल हस्पताल और बनर्जी क्लीनिक ! औरो की मदद करना तो ठीक है पापा, लेकिन थोड़ा-सा प्रक्टिकल हो जाइए, प्लीज ! जरा कभी फैमली के बारे में सोच लीजिए ! दस लाख का लोन नहीं चुका पा रहे है हम ! मेरे क्लासमेट्स भी डॉक्टर है ! दिल्ली-मुम्बई में महीने के दस लाख कमाते है !"
डॉक्टर बनर्जी ने सामने कुर्सी का कोना ज़ोर से पकड़ लिया और बोले "अनिर्बान, मै आज तक सोचता था कि ये घर मुझे तेरे जितना ही प्यारा है ! लेकिन असल में ये मुझे तुमसे भी ज्यादा प्यारा है ! ये घर मेरी विरासत है, मेरे बाबा का आशीर्वाद है और बाबा ने ये सिखाया है कि डॉक्टरी सेवा का काम हैं, व्यापार नहीं है ! अभी चला जा
बेटा यहाँ से ! दिमाग ठीक हो जाये तो आना ! साथ में खाना खायेगे ! अपने करोड़पति दोस्त को भी ले जा ! नहीं चाहिए मुझे चेयरमैन की कुर्सी, और ना ही 25 % शेयर !"
और फिर ज़ोर से चिल्लाये, " बिशम्भर ! गाड़ी निकालो ! ईसीजी .... ईसीजी …" पहुंचे हुये डॉक्टर जान जाते है कि कब उन्हें हार्टअटैक होने वाला होता है !
डॉक्टर बनर्जी को हार्ट अटैक आ गया था ! डॉक्टरो ने कहा कि वो इतने अलर्ट थे कि उनकी जान बच गई थी! लेकिन ये तो झूठ था ! वो चाहे अपने आई सी यू के बिस्तर पर लेते थे लेकिन डॉक्टर बनर्जी के जान जो असल में चली गई थी !
सारी रात की जगी उनकी पत्नी शुकंतला अपने पति की खामोश आँखों में देख रही थी ! दिल का गहरा घाव चेहरे पर उत्तर आया था ! शकुंतला उनके लिए पैकेट से दवा निकालने के लिए मुड़ी ही थी कि डॉक्टर बनर्जी ने उनकी हाथ थाम लिया ! बोले, " शुकंतला ! कहा चूक कर दी हमने अपने बेटे को बड़ा करने में ?"
लेटे-लेटे आँख की कोने से आंसू की एक बूंद निकल पड़ी ! साथ साल में पहली बार उस मछली मोहल्ले में बनर्जी क्लीनिक बंद थी ! सैंकड़ो मरीज दूर-दूर से आ चुके थे ! रिक्शो पर, पैदल उस गली की और चले आ रहे थे, लेकिन क्लीनिक बंद थी ! शहर में ये बात आग की तरह फ़ैल गई ! अगले दिन किसी पत्रकार ने बैंक लोन वाली बात भी पहले पन्ने पर छाप दी !
जिनकी तकलीफे डॉक्टर बनर्जी या उनके पिता ने कभी दूर की थी, सब एक-दूसरे को फ़ोन करके, नुक्कड़ पर रूककर सरस्वती टी-स्टॉल के पास बता रहे थे कि शहर के सबसे चहेते लोगो में से एक सबसे मुश्किल में थे !
चार दिन बीत गए ! फिर सात दिन फिर दस और फिर आखिरकार वो दिन आ गया, जब डॉक्टर बनर्जी को बैंक के दस लाख देने थे, अपने पुश्तैनी मकान बिकने से बचाने के लिए !
दो हफ्ते से वो किसी से नहीं मिले थे ! उनके बेटे ने छुरा घोँप दिया था उनके कलेजे में ! अठारवे दिन डॉक्टर बनर्जी एक हलकी नींद से जागे, कुछ महसूस किया !
बेटा अनिर्बान उनके पांव छू रहा था ! बोला " पापा मुझे मांफ कर दीजिये मै भटक गया था ! ये लीजिये दस लाख रूपए, हमारे शहर और कई शहरो से हज़ारो-हज़ारो लोगो ने सौ - पचास - हज़ार रूपए जोड़कर पुरे किये है ! अब घर नहीं बिकेगा !"
डॉक्टर बनर्जी ने बेटे को देखा और बोले " ये घर नहीं रहेगा अब, मुझे ये पैसे नहीं चाहिए ! बैंक का लोन चुकाकर हम लोगो के लिए तीन कमरे छोड़कर उसमे एक हस्पताल बनेगा जिसमे किसी को अपनी जान बचाने के लिए पैसा नहीं देना पड़ेगा ! डॉक्टरी सेवा का काम है व्यापार नहीं है, और यही हमारी विरासत है !
तीन दिन गुजर गए ! बैंक ने जो 18 दिनों दिए थे, वो अब 15 रह गए ! अनिर्बान कुछ उधेड़बुन में लगा रहता था ! एक दिन सोमवार को जब डॉक्टर बनर्जी क्लीनिक से वापस आए, तो वो उनका इंतजार कर रहा था ! बड़ा खुश था ! बोला "पापा मुझे रास्ता मिल गया है !"
डॉक्टर बनर्जी ने कह, " में जानता था बेटा तू ही बचायेगा हमें" अनिर्बान बोला, "नीचे मेरे कॉलेज टाईम का दोस्त पुनीत अरोड़ा आया हुआ है ! अब शहर का सबसे बड़ा बिजनेसमैन है! डेढ़ सौ करोड़ का टर्नओवर है इनका! ये लोग यहाँ एक प्राइवेट हॉस्पिटल खोलना चाहते है ! एक साल में बन जायेगा ! आप चेयरमैन रहोगे, में सीईओ और कंपनी में 25 % शयेर हमारा !"
डॉक्टर बनर्जी को यकीन ही नहीं हुआ कि ये उनका बेटा कह रहा था ! बस उसे देखते रहे और बोलो, " तूने एक बिजनेसमैन को कह दिया है कि वो हमारी जमीन पर एक प्राइवेट हॉस्पिटल बना सकता है ? अनिर्बान, दिस इज अ जोक, राइट ?"
अनिर्बान ने कहा, "जोक तो हम लोग बन गए है पापा ! आप पिछले तीस साल से चालीस रूपए लेकर मरीजो को देख रहे है ! गरीबो को ईलाज फ्री में करते है ! शहर के सारे डॉक्टर हँसते है हम पर, पता है ?कहते है, शहर एक नहीं दो सस्ते सरकारी हस्पताल है - सिविल हस्पताल और बनर्जी क्लीनिक ! औरो की मदद करना तो ठीक है पापा, लेकिन थोड़ा-सा प्रक्टिकल हो जाइए, प्लीज ! जरा कभी फैमली के बारे में सोच लीजिए ! दस लाख का लोन नहीं चुका पा रहे है हम ! मेरे क्लासमेट्स भी डॉक्टर है ! दिल्ली-मुम्बई में महीने के दस लाख कमाते है !"
डॉक्टर बनर्जी ने सामने कुर्सी का कोना ज़ोर से पकड़ लिया और बोले "अनिर्बान, मै आज तक सोचता था कि ये घर मुझे तेरे जितना ही प्यारा है ! लेकिन असल में ये मुझे तुमसे भी ज्यादा प्यारा है ! ये घर मेरी विरासत है, मेरे बाबा का आशीर्वाद है और बाबा ने ये सिखाया है कि डॉक्टरी सेवा का काम हैं, व्यापार नहीं है ! अभी चला जा
बेटा यहाँ से ! दिमाग ठीक हो जाये तो आना ! साथ में खाना खायेगे ! अपने करोड़पति दोस्त को भी ले जा ! नहीं चाहिए मुझे चेयरमैन की कुर्सी, और ना ही 25 % शेयर !"
और फिर ज़ोर से चिल्लाये, " बिशम्भर ! गाड़ी निकालो ! ईसीजी .... ईसीजी …" पहुंचे हुये डॉक्टर जान जाते है कि कब उन्हें हार्टअटैक होने वाला होता है !
डॉक्टर बनर्जी को हार्ट अटैक आ गया था ! डॉक्टरो ने कहा कि वो इतने अलर्ट थे कि उनकी जान बच गई थी! लेकिन ये तो झूठ था ! वो चाहे अपने आई सी यू के बिस्तर पर लेते थे लेकिन डॉक्टर बनर्जी के जान जो असल में चली गई थी !
सारी रात की जगी उनकी पत्नी शुकंतला अपने पति की खामोश आँखों में देख रही थी ! दिल का गहरा घाव चेहरे पर उत्तर आया था ! शकुंतला उनके लिए पैकेट से दवा निकालने के लिए मुड़ी ही थी कि डॉक्टर बनर्जी ने उनकी हाथ थाम लिया ! बोले, " शुकंतला ! कहा चूक कर दी हमने अपने बेटे को बड़ा करने में ?"
लेटे-लेटे आँख की कोने से आंसू की एक बूंद निकल पड़ी ! साथ साल में पहली बार उस मछली मोहल्ले में बनर्जी क्लीनिक बंद थी ! सैंकड़ो मरीज दूर-दूर से आ चुके थे ! रिक्शो पर, पैदल उस गली की और चले आ रहे थे, लेकिन क्लीनिक बंद थी ! शहर में ये बात आग की तरह फ़ैल गई ! अगले दिन किसी पत्रकार ने बैंक लोन वाली बात भी पहले पन्ने पर छाप दी !
जिनकी तकलीफे डॉक्टर बनर्जी या उनके पिता ने कभी दूर की थी, सब एक-दूसरे को फ़ोन करके, नुक्कड़ पर रूककर सरस्वती टी-स्टॉल के पास बता रहे थे कि शहर के सबसे चहेते लोगो में से एक सबसे मुश्किल में थे !
चार दिन बीत गए ! फिर सात दिन फिर दस और फिर आखिरकार वो दिन आ गया, जब डॉक्टर बनर्जी को बैंक के दस लाख देने थे, अपने पुश्तैनी मकान बिकने से बचाने के लिए !
दो हफ्ते से वो किसी से नहीं मिले थे ! उनके बेटे ने छुरा घोँप दिया था उनके कलेजे में ! अठारवे दिन डॉक्टर बनर्जी एक हलकी नींद से जागे, कुछ महसूस किया !
बेटा अनिर्बान उनके पांव छू रहा था ! बोला " पापा मुझे मांफ कर दीजिये मै भटक गया था ! ये लीजिये दस लाख रूपए, हमारे शहर और कई शहरो से हज़ारो-हज़ारो लोगो ने सौ - पचास - हज़ार रूपए जोड़कर पुरे किये है ! अब घर नहीं बिकेगा !"
डॉक्टर बनर्जी ने बेटे को देखा और बोले " ये घर नहीं रहेगा अब, मुझे ये पैसे नहीं चाहिए ! बैंक का लोन चुकाकर हम लोगो के लिए तीन कमरे छोड़कर उसमे एक हस्पताल बनेगा जिसमे किसी को अपनी जान बचाने के लिए पैसा नहीं देना पड़ेगा ! डॉक्टरी सेवा का काम है व्यापार नहीं है, और यही हमारी विरासत है !
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