"यस, फ्रेंड्स अगेन !" Friends Again (Part 1)

"यस, फ्रेंड्स अगेन !" Friends Again



दफ्तर में जैसे ही पहुंची, तो दूर से बॉस चले आ रहे थे! मैंने "गुड मॉर्निंग " कहा ! वो मुस्करा रहे थे  ! कुछ ज्यादा ही, जैसे कोई बिल्ली दूध चाटने के बाद मूंछे हिला रही हो !ऐसा क्या राज़ था भाई !


अपने केबिन पहुंची तो देखती हूँ कि , मेज़ पर एक लिफाफा रखा है ! फूलो का गुलदस्ता, चॉकलेट का डिब्बा और मेरा फेवरेट-"चॉकलेट किंग" ! लिफाफा खोला तो यकीन ही नहीं हुआ ! मेरा परमोशन हो गया था और मेरी सैलेरी भी बढ़ा दी गयी थी 25 % ! मैंने अकेले में, ये सोचकर कि कोई देख नहीं रहा है, कॉलेज के दिनों के टाइप का छोटा-सा ख़ुशी का डांस किया तो पीछे से बॉस की हंसी सुनाई पड़ी ! खड़े-खड़े देख रहे थे ! बोले "कांग्रेचलेशन्स ! तुम ये सब डिजर्व करती हो ! आज जल्दी घर चली जाना और पार्टी करना। … सारी रात.… बॉयफ्रैन्ड के साथ ! हैव फन !"
घर की और ड्राइव करते-करते मै हलके से टोंट करती हुई मुस्करा रही थी, "बॉयफ्रेंड!"
बड़े शहरो में  करियर कि ऊँची-नीची लहर पर तैरते लड़के--लड़कियो की किस्मत में बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड कहा होते है ?  किसके साथ बांटू अपनी ख़ुशी?

मै शहर छोड़ने के बाद यहाँ आई ! नौकरी के पहले दस साल बस अपनी ही धुन में लगी रही ! कुछ करके दिखाना था ! जल्दी-जल्दी तरक्की हुई ! प्यार, बॉयफ्रेंड .... इन सबके लिए टाइम ही कहा था ?
ट्वेंटिस की उम्र कब गुजर गयी। .... थर्टीज ने कब दस्तक दे दी। .... कब मैंने जींस और बिजनेस -सूट के साथ-साथ शौंक से साड़ी पहनना भी शुरू कर दिया-पता ही नहीं चला !


घर पहुची ! मेरी मेड संगीता, जो कि अब मेरी सहेली बन चुकी है, एक खाली प्लेट और चाकू रखके सामने बैठ गई ! मैंने केक निकाला, काटा और संगीता ने ताली बजाकर बिना कारण जाने क्यों गाना शुरू कर दिया, "हैप्पी बर्थडे टू यू। … हैप्पी बर्थडे टू यू !"
मैंने फैसला किया कि मै परमोशन की खुद को दावत दूंगी ! चाइनीज़ आर्डर किया और टीवी देखते हुए देर तक अकेले खाती रही !
संगीता मेरा  शेडयूल जानती थी ! रात को नौ बजे दरवाजा खटखटा के अंदर आई और बोली, दीदी कंप्यूटर खोल दू क्या ?" मैंने कहा "हाँ"
शादी की वेबसाइट देखने का वक़्त आ गया था !
ये शादी के वेबसाइट की दुनिया भी कितनी निराली होती है ! जैसे -आप दूल्हो के सुपर मार्केट में हो और हरेक शेल्फ पर एक-एक दूल्हा सजा हो! हरेक का नाम, गुण, अच्छाइया, शौंक सामने छपी हो ! परखिये, अच्छा लगे तो शापिंग की  टोकरी में डाल लीजिये और नहीं अच्छा लगे तो आगे बढ़ जाइये ! ये सब भी तो मेरी तरह ही है सकसेसफुल, एम्बीशियस लेकिन अकेले !
चेहरो की इस भीड़ में ना जाने कब इतने अकेले हो गए हम सब ! 30-35 साल की मेरी हर सहेली प्यार की तलाश में है ! शादी करना चाहती है ! लेकिन कोई मन का नहीं मिलता ! चार साल पहले लम्बी विश लेकर चली थी कि कैसे लड़के से शादी करेंगी ! आज लगता है कि उन्हें कोई भी ठीक-ठाक लड़का मंजूर है !
बड़े शहरो का अकेलापन, बड़े शहरो के अकेले लोगो से कितनी बेदर्दी से मोल-भाव करता है ! आपको अपने मन की, कहा करने देता है ? मैंने शादी की वेबसाइट पर एक बार फिर कुछ लड़के शॉर्टलिस्ट करने शुरू कर दिए !
आज थोडा वक़्त कम था ! सोना जल्दी था ! सुबह इलहाबाद शहर से मम्मी-पापा आनेवाले थे ! नोटबुक निकालने के लिए नीचे का ड्रा खोला तो एक पुरानी चिठियो कि एक फ़ाइल हाथ में आ गई ! कागज पलटने लगी ! सामने एक   कागज़ खुला जो कॉलेज के दिनों में फाड़कर फैंकने वाली थी, पर कुछ सोचकर यहाँ रख दिया था !
मेरे प्यारे दोस्त निखिल ने, जो मेरा सबसे अच्छा बडी होता था ! वैलेनटाइन डे पर मुझे ख़त लिखकर अचानक प्यार ज़ाहिर किया था !मैंने कभी उसे इस तरह से देखा ही नहीं था ! और उसने अचानक सौ लाल गुलाबो का गुलदस्ता मेरे घर भिजवा दिया था ! मैंने गुस्से में निखिल से सारे रिश्ते तोड़ लिए थे !
कितने आशिक़ों की भीड़ लगी रहती थी उन दिनों कॉलेज में ! तब सोचते थे, "हाँ आशिक़ तो आते-जाते रहते है ! जब मन चाहेगा मिल जायेगा ! अभी पढ़ाई कर लेते है !"
पर तलाब सुख चूका था ! मै चेहरे देख रही थी कम्प्यूटर पर !
खुद की चेहरो के ऐसे बाज़ार में नुमाइश करना आसान काम नहीं होता है ! अपना अहम अपना ईगो छोड़कर एक लाइन में खड़े हो जाना पड़ता है ! इन्टरनेट के इस महास्वयंवर में हजारो लोगो के साथ धक्का-मुक्की करते हुए इंतजार करना पड़ता है ! ये कहते हुए कि हाँ, मै मानता हूँ कि मै अकेला हूँ ! बहुत कोशिश की, कोई साथ नहीं मिला! मुझे  अपना साथी चुन लीजिये !
मैंने चॉकलेट-केक का एक टुकड़ा अपने मुहं में रख लिया ! अचनाक उसकी मिठास भी कड़वी लग रही थी ! मै कब इतनी अकेली हो गई और, क्या सच्चा प्यार नहीं होता अब दुनिया मे ? क्या मै हमेशा ऐसी अकेली रहूंगी ?
उस रात देर तक जगती रही मै !
मम्मी-पापा की फ्लाईट एक घंटा लेट थी ! मै एअरपोर्ट पर बैठी क्रॉस वर्ड करती रही ! फ़ोन बजा, मेरे कैमस्ट्री टीचर का था ! सक्सेना सर बोले, " आ रही हो न बेटा, सैटरडे को ? कॉलज- रीयूनियन हैं ! हम सब लोग दुबारा मिलेंगे ! और बताओ, फैमली कैसी है ? हस्बैंड वगैरह। … "
मैंने कहा, "सर वो मेरे पेरेंट्स की फ्लाईट आ गई है ! मै आपको बाद में फ़ोन करती हूँ !"
पापा-मम्मी ढेर सारी चीजे लाये थे इलहाबाद शहर से ! पापड़ मिर्च, नीबू और पता नहीं कौन- कौन से अचार !
शाम तक मेरी नौकरी,खाना पीना पड़ोस की गॉसिप सारी बाते हो गई थी ! बस, एक वही बात नहीं हुई थी जो इतने घंटो से मेरे और मम्मी-पापा के दिमाग में जिद्दी तितली की तरह घूम रही  थी - मेरी शादी की बात !
आखिरकार पापा ने ज़िक्र छेड़ ही दिया ! तीन नये लड़के थे, जिनसे मुझे मिलना था !
मै इस डिसकशन  से बहुत पहले तंग आ चुकी थी ! क्या दुनिया की बातों से तंग आकर वे मुझसे छुटकारा चाह रहे थे वो, मेरे मन के मुताबिक शादी करके मेरी ख़ुशी चाह रहे थे या, अपने मन के मुताबिक मेरी शादी करवा के अपनी ख़ुशी ढूंढ रहे थे ? क्या मै खुद नहीं चाहती थी कि मेरी शादी हो, परिवार हो ? मै भी  कुशन-परदे खरीदू, घर सजाऊँ ? लेकिन, किसी भी राह चलते आदमी से तो ब्याह नहीं कर सकते न !
फिर बहस हो गई !
मै ऑफिस के लिए निकल पड़ी ! बीच सड़क पर गाड़ी खराब हो गई ! नई गाड़ी ले रही थी लेकिन, लोन अभी सैंक्शन नहीं हुआ था ! बेहद खराब मूड में ऑफिस पहुंची तो बैंक से आदमी आकर बैठा हुआ था ! फॉर्म भरने लगा ! बोला, " मैडम आप यहाँ पर साइन कर दीजिये, बाकि में भर लूंगा !"
फिर दो सैकंड बाद मुंह उठाकर बोला, "मैडम मैरिड या अनमैरिड ?"
मन तो किया कि पपरवेट उसके मुहं पर दे मारु ! हद हो गई यार ! जिसको देखो यही बात ..........!
मुझे पता था कि वो सिर्फ अपनी डूयटी रहा था ! फिर भी, मैंने उसे गुस्से में कहा, "ये फॉर्म आप यही पर छोड़ दीजिये, में भर के आपके ऑफिस भिजवा दूंगी !"
फिर फ़ोन बजा! मेरी बेस्ट फ्रेंड थी - प्रिया, कॉलेज टाइम की सहेली !
बोली, " तू आ रही है ना रीयूनियन में ?"
मैंने कहा, "नहीं यार" !
प्रिया ने कहा," मुझे पता हैं, तू क्यों नहीं आ रही है ! यार कब तक हम इस सवाल से भागते रहेंगे ? " चल ना "
मैंने कुछ सोचा और कहा , " सच ही कह रही है तू ! चल देखा जायेगा! एक शाम की तो बात हैं !"
उस दिन घर वापिस लौटी ! पापा पेपर पड़ रहे थे ! और मम्मी फ़ोन पर थी ! शायद मौसी से बात कर रही थी ! बोली, " वो आ गई हैं, तू रख, रात को बातें करते हैं !"
मम्मी चाय के साथ पकोड़े भी लेकर आई! मै समझ गई थी कि कटने से पहले बकरे की खातिर हो रही हैं !
पापा ने पेपर में खबर पढ़ते हुए कहा !"लव -मैरिज में डिवोर्स का रेट 60 प्रतिशत बढ़ गया है !" यह महत्वपूर्ण सूचना भी जाहिर सी बात है, मेरे लिए ही प्रसारित की गई थी !
पापा ने अखबार किनारे रखा, चाय की एक चुस्की ली, बोले, " कल ऑफिस से छुट्टी ले लेना, उन तीनो लड़को से मिलना है !"
मुझे बस हुक्म मिला था ! जैसे बचपन से हुक्म मिलते हुऐ आ रहे थे , साइंस मत लो, आर्ट्स लो ! म्यूजिक सीखो ! भाई के दोस्तों से ज्यादा मत घुलो-मिलो ! मुझे याद हैं, ये नौकरी जब मुझे मिली थी तो कितनी मुश्किल से पापा-मम्मी को मना पाई थी इलहाबाद शहर को छोड़ आने के लिए !
पेरेंट्स अक्सर भूल जाते हैं कि बेटियो के सहारे चलता है ये मुल्क ! बेटियां, जो माँऐ बनती हैं और बहने, जो अपना करियर, अपनी जिंदगी न्योछावर कर देती हैं ताकि उनके भाई पति,बेटे आगे बढ़ सके !
पेरेंट्स ये भी अक्सर भूल जाते हैं कि शायद बेटियों से ज्यादा समझदार कौम आजतक ऊपर वाले ने बनाई ही नहीं। .... कि उनको बेटियो पर विश्वास करना चाहिए, ना कि उनकी जिंदगी रिमोट कंट्रोल से चलानी चाहिए !
लेकिन आब मै हार चुकी थी ! या शायद मै और लड़ना नहीं चाहती थी, आखिर मेरे माँ बाप ने मुझे जन्म दिया था ! अगर वो जिद पर थे कि मै किसी लड़के से 15 मिनट मिलकर सारी जिंदगी उसके साथ बिताने का फैसला कर लू तो जरुर कुछ सोच समझ कर कह रहे होंगे !
बॉस को ई -मेल भेजा कि अगले दिन नहीं आ पाऊँगी ! सलवार-कमीज पहनकर, बिंदी लगाकर, चूड़ी पहनकर में अगली सुबह दूल्हा फाइनल करने निकल पड़ी ! तीनो से मिलने !
बचपन से आजतक जब भी अपने हस्बैंड के बारे में मन में तस्वीरे खीची थी, ये लोग उनमे से नहीं थे ! ठीक भी है ना, जिंदगी की जो तस्वीर हम खींचते हैं और जिंदगी हमे जो देती हैं, उसमे फर्क होता है ! इसलिए तो सपने, उम्मीदे, ख्वाब। …।  इन सब बातो की चीजें भगवान ने बनाई हैं !
शाम को थककर घर लौटे ! मैंने दूसरे नंबर के लड़के को बिना सोचे-समझे हाँ कह दिया !
उसका नाम तक ठीक से नहीं जानती थी, लेकिन कम-से- कम मम्मी-पापा की फ़िक्र तो मै दूर करने जा रही थी, आखिर उनकी बेटी की शादी होने जा रही थी और जिम्मेदारी भी तो कोई चीज़ होती है !
प्रिया और मै उस होटल के सामने उतरे जहा री-यूनियन की पार्टी थी ! यहाँ से ये कहना जरूरी होगा कि हम दोनों काफी अच्छे लग रहे थे ! हॉल के अंदर घुसे तो ऐसा लग रहा था जैसे कॉलेज के पुराने दिन वापिस आ गए हो ! थोड़ी देर झिझक के बाद लोग खुल के हंसने लगे, गले मिलने लगे और एक-दूसरे को पुराने नामो से बुलाने लगे !
जिसे देखो वही मुझसे एक्सपेक्टेड सवाल पूछ रहा था, "मिस बयूटी क्वीन, शादी की कि नहीं ?"
अब मुझे क्या डरना, अब तो जवाब था मेरे पास ! मैंने कहा ---- तय हो गई है बस, तारीख फिक्स होनी है "
हम सबका हंसी - मजाक चल रहा था कि पीछे से एक जानी-पहचानी आवाज ने कहा, " कांग्रेचलेशन्स !"
मै पलटी तो निखिल खड़ा था। … वही निखिल जो कभी मेरा बहुत अच्छा दोस्त हुआ करता था और जिसने वैलेंटाइन्स डे पर सौ गुलाब के फूल भेजकर ऐसा झटका दिया था कि मैंने उससे दोस्ती तक तोड़ दी थी !
उस दिन के बाद हमने कभी बात नहीं की थी वो बोला," सॉरी! मुझे बाद में पता चला कि तुम्हे बहुत बुरा लगा ! आई ऍम रियली सॉरी !"
और उसने मुस्करा के हाथ बढ़ाकर कहा, "फ्रैण्ड्स अगेन ?"
मैंने भी हंसकर हाथ मिलाया ! मैंने भी कहा. "यस, फ्रेंड्स अगेन !"  


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