यस फ्रेंड्स अगेन (पार्ट 2 )

                यस फ्रेंड्स अगेन (पार्ट 2 )

मैंने भी हंसकर हाथ मिलाया ! मैंने कहा, "यस फ्रेंड्स अगेन !"
बाकी शाम हम लोगो ने एक कोने में बैठकर  गप्पे मारने में गुज़ार दी !
उसे सब याद था ! मैं कैसे जिद करके हॉरर फिल्मे देखने जाती थी और डर के मारे पूरे टाइम उसका हाथ भी पकड़े रहती थी ! मैं कैसे क्लास बंक करके चाट खाने जाती थी, क्योकि वर्मा चाट भंडार के गोल-गप्पे खाये बिना मेरा दिन पूरा ही नहीं होता था ! कैसे में लाइब्रेरी के बाहर बैठकर गीतादत्त के गाने गया करती थी उसके साथ !
क्यों मैंने उससे रिश्ता तोड़ लिया था ? कितने सेलफिश कितने खुदगर्ज हो जाते है हम कभी-कभी ! हम चाहते हैं कि हमारे पास जो लोग रहते है, वो हमें उन्ही नजरो से देखे जैसा हम चाहते है ! अगर हमने निखिल से इतनी बेदर्दी से रिश्ता नहीं तोड़ा होता तो आज क्या पता। ....
मैंने शयद किसी मतलब से ही पुछा था उससे, "शादी की निखिल ?"
वो किसी बात पर हंस रहा था ! हँसते हँसते रुक गया ! बोला, "हाँ, लेकिन उसको मैं रास नहीं आया ! तलाक की फाइनल हियरिंग पिछले महीने ही हुई है !"
मैंने कहा, " कब तक हो ?"
बोला ,"शाम को जा रहा हूँ ! फ्री हो तो बताना, मिलेंगे ! फिर ना जाने कब वापिस आना होगा ?"
री यूनियन की पार्टी ख़तम हो रही थी ! मैंने निखिल से कहा कि मैं उसे उसके होटल ड्राप कर दूंगी !
रास्ते में ख़ूब बाते किये जा रहा था ! शायद मैं सालो बाद इतना खुल कर हंसी थी !
बोला, "यार, तुझे आइडिया ही नहीं कि तूने मुझसे कितना काम करवाया था  उस वैलेंटाइन्स डे पर ! तुझे पता हैं, लवर्स कितने बढ़ गए है इस शहर की पॉपुलेशन में ? दो, पांच आठ करके मैंने बीस फूलवालों के पास जाकर सौ गुलाब जोड़े थे और तुमने वापिस कर दिए ! चल अब हर्जाना भर ! कल रात होटल में मेरे साथ खाना खाना ! फिर, अपनी खटारा में एअरपोर्ट छोड़ देना ! भगवान ने चाहा तो एअरपोर्ट पहुँच ही जायेंगे !"
रात बहुत धीमे - धीमे कटी ! गहरी सोच में थी में ! इतने सालो के बाद मेरा सबसे अच्छा दोस्त फिर से मिल गया था ! वो जो कभी मेरा सबसे अच्छा साथी था ! लेकिन जिसके साथ मैंने ठुकरा दिया था ! ऐसा नहीं था कि निकिल के लिए मेरे दिल में अचानक कोई प्यार उमड़ रहा था ! लेकिन उसे साथ मुझे पूरापन, पता नहीं ये शब्द होता भी है कि नहीं, एक पूरापन महसूस हुआ था ! तब भी और आज भी !
पापा कमरे में आये ! बोले, "सन्डे को तुम्हे लड़के के पेरेंट्स से मिलना हैं !"
मेरी जिंदगी मेरे हाथो से फिसल रही थी ! शायद इसी को  है नियति, डेस्टिनी, मुकद्दर, तक़दीर कहते है !
अगली शाम नई गाड़ी आ गई --- चम्चमाती लाल ! मैं दफ्तर से निकली और नै गाड़ी में निखिल के होटल चल दी !
क्या ये मेरी उससे आखरी मुलाकात थी ? गाड़ी ट्राफिक लाइट पर रुकी ! मुझको पता नहीं क्या सुझा, सीधे जेन के बजाय मैंने गाड़ी लेफ्ट मोड़ ली !
आपको पता है, लवर्स कितने बड़ गए हैं आजकल इस शहर कि पापुलेशन में ? दो पांच आठ करके मैंने बीस फूल वालो के पास जाकर सौ गुलाब जोड़े और निखिल के होटल के दरवाजे पर पहुँच गई !


निखिल मुझे देखकर हैरत में पड़ गया !
मैंने कहा, "निखिल में इस वक्त जिंदगी में मुश्किल जगह पर खड़ी हूँ ! तुम मेरे बेस्ट फ्रेंड थे, और आज मुझे समझ आ गया है कि तुम ही मेरे बेस्टफ्रेंड हो ! इसलिए हमेशा की तरह अपनी मुश्किल तुम्हारे पास लेकर आई हूँ क्योकि तुमसे बेहतर मैं खुद को भी नहीं समझती हूँ ! क्या तुम मुझसे अर्रेंज मैरिज करोगे ? मैं मम्मी पापा को समझा लूंगी ! तुमसे प्यार नहीं करती हूँ, लेकिन मैं जानती हूँ हर खूबसूरत अरेंज मैरिज कि तरह मुझे तुमसे प्यार हो जायेगा ! क्या तुम मुझसे अरेंज मैरिज करोगे  ? "
निखिल दरवाजा पकड़कर मुझे कुछ देर तक देखता रहा ! फिर बोला, " आई ऍम सॉरी ! ये नहीं हो सकता, क्योकि मैं तुमसे तबसे आजतक बेतहाशा प्यार करता रहा हूँ ! लव मैरिज के अलावा मुझे कुछ मंजूर नहीं। .... "



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