कौआ बिरयानी और काग स्नान महत्व
कौआ बिरयानी और काग स्नान क्या कभी सुना है आपने इसके बारे में ? इस लेख को पढ़ते हुआ आपको याद आया होगा फिल्म "RUN "का वो सीन जिसमे एक युवक अपने गांव से शहर आता है और भूख लगने पर सड़क पर खड़ी एक ठेली से खाने के लिए चिकन बिरयानी की मांग करता है और खाने के बाद उसकी आवाज कौए जैसी हो जाती है। बाद में उसे अहसास होता है कि उसे चिकन बिरयानी के नाम पर धोखे से कौआ बिरयानी खिला दी गयी है। लेकिन आज हम यहाँ बात कर रहे है एक स्नान की जिसे कौआ स्नान या काग स्नान कहा जाता है इसके बारे में मेरे एक मित्र से जानकारी प्राप्त हुई जिसे मै आपके साथ बाँटने जा रहा हूँ क्यों कि शरद के इस मौसम में इसका विशेष महत्व है। कैसे ? यह मैं उसी मित्र के शब्दों मे यह कहानी उसके शब्दों में आपके सामने रखता हूँ जैसे उसने मुझे बताया।
मेरे दादा पुराने परोहित रहे है। उन्होंने मुझे बताया कि शरद ऋतु में काग स्नान का बड़ा महत्व है और यह शास्त्रों से भी मान्यता प्राप्त है। उस दिन उन्हें कही रामायण पाठ के लिए जाना था तो उन्होंने मुझे काग स्नानं का पूरा प्रयोग करके दिखाया। लोटा लेकर वह टूबवेल पर पहुंचे, होद से लोटे में पानी भरा, आम के पेड़ से कुछ पत्ते तोड़े। फिर लोटे में आम की पत्ती डाली और पत्ती से कुछ बुँदे सिर पर, कुछ कंधे पर, कुछ पेट - पीठ, और कुछ पैरो पर छिड़क दी। पीठ की खुजली जनेऊ से शांत की और बोले " हर - हर गंगे पार्वती, पाप न रहे एको रत्ती " बस हो गया स्नान। इसके लिए कोई भी पूर्वाभ्यास की भी आवश्यकता नहीं है। चार बूँद में बहादुर बनने का यह सबसे सूंदर, सरल और टिकाऊ उपाये है, जिसकी पुष्टि आप स्नानार्थी के पास आते ही कर सकते है।
कहिये है ना, यह जानकारी शरद ऋतु में बहादुर बनने की। कृपया करके लेख पर टिप्पणी जरूर दे आपको कैसी लगी जानकारी।
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