सबसे बड़ा भिखारी

सबसे बड़ा भिखारी 



क्या आपने कभी ईश्वर को देखा है, क्या कभी आपने अपनी सोच को देखा है, नहीं ना, पर हम सभी जानते है कि  कोई तो ऐसी शक्ति है जो इस संसार को  चला रही है, कोई तो ऐसा है जो हमारी श्रधा  और हमारी प्रार्थ्रना से खींचा चला आता है. जब भी हम अपनी सोच से उस ईश्वर  को याद करते हैं  तो उसे कैसे पता चल जाता है, न तो कोई मोबाइल नंबर है, न ही फेसबुक पर है, ना तो दिखाई देता है और ना ही कोई अता  पता है.  फिर भी हम सभी उससे पल पल हर क्षण   कुछ न कुछ मांगते रहते है. अगर मांग पूरी  हो गई तो अच्छा ना मांग पूरी हुई तो बुरा।  हर अच्छी बुरी बातों का मटका उसके सर पर, मालूम है ना कि  पलट कर पूछने वाला नहीं।

वैसे कितने आशर्चय की बात है कि  हम सभी कही ना कही भिखारी  है, कैसे ? सड़क पर भीख मांगने वाला को हम किस हिकारत से देखते है, क्या कभी अपने आप को उसकी जगह पर देखा है, क्यों बुरा लगा न , हम भी तो हर वक़्त हर क्षण , ना समय देखते ना ही जगह, हर वक़्त उससे मांगते रहते है, हम मांगते- मांगते नहीं थकते और वो ईश्वर  देते- देते नहीं थकता। फिर भी हमारी मांगे पूरी नहीं होती, बस सारी  जिंदगी मांगते रहते है, एक मांग पूरी होती नहीं कि  अगली तैयार होती है.


कृष्ण की गीता में तो यहाँ तक कहा गया  कि  मरने के बाद भी ईश्वर  उसकी आंखरी मांग को मान कर उसके कर्मो के अनुसार इस पृथ्वी लोक पर कुछ समय तक उसे रहने की इजाजत देता है।  सोचिये कि  मरने के बाद भी उसका पीछा नहीं छोड़ते मांगने से। और वो भी कितना दयालु है कि मरने के बाद भी उसकी मांग को मान लेता है। 

हो सकता है , मांगने या न मांगने की बात को सभी न माने, पर ना भी माने तो मुझे कोई मनवाना भी नहीं है / यह तो अपने -अपने समझ की बात है. अगर भगवान  है तो कोई तो शैतान भी है।

आज एक खबर पड़ी एक दैनिक न्यूज़ पेपर में कि  नासा के केपलर स्पेस टेलिस्कोप ने धरती जैसा ग्रह की खोज की जो हमारी पृथ्वी से 500 प्रकाश  वर्ष की दुरी पर है।  क्या आप जानते है कि  एक प्रकाश की किरण को एक जगह से दूसरी जगह जाने में समय लगता है उस दूरी को कैसे नापा  जाता है? तो पहले ऐसे समझते है। 
आप अनुमान लगाये एक प्रकाश की किरण को एक सेकंड में कितनी दूर तक जा सकती है।  अगर केरला  से कोई बिजली आन करे तो जम्मू कश्मीर तक उस बिजली को पहुचने में कितना समय लगेगा, शायद एक सेकंड से भी काम समय, अगर ऐसी स्पीड से लाइट या प्रकाश की किरण को एक साल लगने में जो दूरी प्राप्त होगी तो वह हमारी पृथ्वी से कितनी दूरी हो सकती है, और अगर उसे 500 प्रकाश वर्ष लगे तो कितनी दूरी होगी ? सोचिये ? अगर यह ब्रम्हांड इतना फैला हुआ है तो इसे  संभाल कौन रहा है ? हमारी पृथ्वी कैसे हवा में बिना किसी बेस के लगातार सदियों से घूम रही है ? इतनी बड़े यूनिवर्स में हमारी अपनी पहचान क्या है ?,  हम जिंदगी भर जीते है, दोस्त बनाते हैं, रिश्तेदार बनाते है , लालच अभिमान , अभिलाषा , ईष्या , बस इसी  तरह की बातो में जिंदगी बीत जाती है।  सोचिये पहले पैदा होते है ,छोटे से बड़े होते है, पहले दांत आते है फिर बुढ़ापे में जाते है, शरीर कमजोर से स्वस्थ और फिर स्वस्थ से कमजोर हो जाता है ? आखिर में वो बच्चा जो पैदा हुआ था , समय आने पर मर जाता है।  







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