न्याय मिला बेटी को अपने माँ-बाप से सिर्फ 100 रूपए में



आज मैंने एक शो देखा जिसमे एक लेडी जिसकी उम्र लगभग 35 -36 साल की रही होगी और स्टेज पर सबको नमस्कार करती हुई अपने  सामने बैठे हुए दर्शको के सामने एक सवाल रखती और पूछती है कुछ सवाल ? उसके कुछ सवाल जिसका जवाब देने की कोशिश मे अपने और उसके अस्तित्व पर कुछ और नये प्रश्न  खड़ा कर रहा था ? मैंने सोचा क्यों न उसके सवाल को मैं आप तक लाकर उसके मायने जानने की कोशिश करे ? उसके ही शब्दों मे पूछे गए प्रश्न मैं निचे लिख रहा हूँ ?

"मैं कौन हूँ ?  मैं क्या हूँ ? एक गुड़ हू , मामू हूँ, किंनर हूँ या छक्का हूँ ? "
दर्शको की और ऊँगली करके कहा  "यह नाम आप सब ने दिए।"  अपनी बात तो आगे बढ़ाते हुए और ऊँगली को अपनी तरफ करते हुए पूरे जोश और सम्मान के साथ कहा " पर , मैं हूँ। .. अमृता सोनी एंड आई  ऍम प्राउड टू बी अ टीचर (I am proud to be a teacher). "  तुरंत दर्शको ने उसके होंसले को सम्मान देते हुए जोरदार ताली बजाकर उसकी बात का समर्थन किया।  कुछ क्षण ताली की ख़तम होने के इंतज़ार करने के बाद अपनी बात फिर आगे बढ़ाते और दुबारा नए प्रश् उनके सामने रखने शरू कर दिए।

"उसने मुझे गुड़ बुलाया , उसने मुझे छक्का बुलाया तो उसने मुझे किंनर बुलाया। ... मैं कारण बनी अपने माँ - बाप के अलग होने का।  आज मेरे माँ बाप मुझ से अलग हैं।  कोर्ट मे जब वह अलग होने के लिए पहुंचे तो इसके सब आप जिम्मेदार हैं। .... पर मैं सब चीजों को भूलकर आगे बड़ी, .. आज भी वो बात याद है मुझे जब मेरे पापा मेरी मम्मी को कह रहे थे। .. अरे तूने तो एक छक्के को जनम दिया है।  सारा समाज कहता है कि तूने एक छक्के को जन्म दिया है।  "
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कुछ क्षण रूककर फिर कहना शुरू किया

क्या मैं इन्सान नहीं हूँ ? .. मैं आपके आंगन की ही मिट्टी हूँ। .. मैं आपके ही आंगन की तुलसी हूँ जो बाहर दिया जलाकर आप पूजते हों।  पर जैसे जैसे तुलसी बड़ी हो गयी वैसे ही आज मैं बड़ी होकर आपके सामने खड़ी  हूँ। "

दर्शको ने फिर ताली बजाकर समर्थन किया।

"जब मैं पैदा हुई तब मैं बेटा थी। ... मिठाई  बाटी गयी। ,, मेरी माँ एक सरकारी स्टाफ नर्स थी उन्होंने बहुत कोशिश की मुझे बेटा बनाने की। .. मुझे स्विमिंग में डाला गया। .. मैं एक इंटरनेशनल स्विमिंग प्लेयर रह चुकी हूँ। पर क्या हुआ ? जब मैं इंडियन नवी में सेलेक्ट हुई तो मैं थोड़ा सा चलने में हिल गयी तो बोले। .. चलो बाहर  निकलो। ... क्यों? .... क्योकि मैं हिले - डुले महत्मा फुले थी। .... "

क्योकि हिले - डुले महत्मा फुले थी,  इसलिए मेरे ट्रेनर के अनुसार मैं इंडियन नेवी में काम नहीं कर सकती थी।

फिर मेरे चाचा के पास भेजा गया ताकि मेरा पुराना फ्रेंड सर्कल छूट जाये तो नये  सर्किल में  मैं फिर से एक बार मर्द बनकर भेजा जा सके।  जिम ज्वाइन करवाया ताकि मेरे हाथो के डोले देखकर कुछ पता नहीं चले।  पर  मेरे चाचा - चाची भी समाज का एक हिस्सा है।  मैं कैथोलिक समाज से आती हूँ और एक छोटे से शहर शोलापुर से आती हूँ।  16 साल की थी जब चाचा के साथ रहती थी। ... मुझे भी रेखा और ऐश्वर्या जैसे सजने और उन जैसा दिखने का शोंक था।

मैं चाहती थी जैसी मैं हूँ वैसा स्वीकार करे समाज। " द  वे आई वांट टू लिव , लेट मी लिव इन दिस वर्ल्ड "  (The way I want to live, let me in this world)  पर नहीं समझ पाये  मेरे रिश्तेदार और ना  ही समाज। .  लड़ती रही। .. लड़ती रही। .. लड़ते लड़ते एक दिन क्रिसमिस नजदीक आ गया।  बात हुई मम्मी से मिलने की और घर जाने की। ..   उस दिन  मैं बहुत खुश थी। ..

चाचा ने एक कहा छोटी सी पार्टी करते है सारे फ्रेंड आ रहे है मैरे . तो पार्टी थी घर में , उस दिन थोड़ा  मेकप किया। .. बचपन में जैसा मैंने  पहले आपको बताया फिल्मस्टार रेखा जैसा सजने को शोंक था....मम्मी की साड़ी पहनना लिपिस्टिक लगाना।।। और देखना आईने में कैसी लग रही हूँ और अपने आप से पूछना।

उस दिन रात को मैरे चाचा ने कहा सब लोग पार्टी में थोड़ा - थोड़ा ड्रिंक ले रहे है , तो तुम भी थोड़ा सा ले लो। ...  अब कभी जिंदगी में ड्रिंक किया नहीं जाम लिया नहीं । .... यह जाम कैसा होता है यह उस दिन पता चला। .. उस थोड़े से दो घुट के जाम ने जिंदगी के ऐसे मोड़ पर ला कर खड़ा  कर दिया कि  रेप क्या होता है  यह पता चला। .... खुद के चाचा ने जब रेप किया तो उनसे लथपथ होकर जब मैं चली अपनी माँ के पास,  यह सब बताने तो मैरे चाचा ने मुझसे पहले ही कोई और कहानी बता राखी थी। ..

"घर पहुंची। . तो मेरे कुछ बोलने पहले ही माँ ने बिना कुछ पूछे। .. मेरे हाथ में  100 रुपए थमा दिए।  और कहने लगी बेटा  बहुत  हो गया... बहुत कोशिश कर चुकी पर अब मैं हार चुकी हूँ। .. अब मैं तेरा साथ नहीं दे सकती। .. यह कह कर अंदर चली गई। .
उम्र के 16 साल में जब माँ - बाप की जरूरत होती है। ..  एक गाइडेंस की जरूरत होती है। .. ..  बाप क्या चीज़  होता है। .. बाप जो डाँटा  करता है। ....  माँ जो एक बेस्ट फ्रेंड की कमी को दूर करता है। ..  उस समय मुझे 100 रुपए देकर कर  कहा गया , अब हमें तुम्हारी जरूरत नहीं। .."

"उस 100 रुपए को लेकर निकली मैं घर से... मैं दसवीं पास, 16 साल की उम्र में समझ नहीं आया व्हाट आई शुड डु (What I should do )... दो हाथो से सड़क पर ताली बजाकर कहना बहुत आसान हैं। ... किसी को ऐसा देखकर गाड़ी के शीशे चढ़ाना बहुत  आसान है। ..  पर कभी यह दिल से पूछो यह दर्द क्या होता है, 10 रूपए मांगने का। .... क्योकि यह भूख बहुत गन्दी चीज़ होती है। .... छत की जरूरत थी रहने के लिए। .. वो कहा से लाती मैं। .. आप ही लोगो के पास आती और दोनों हाथो से ताली बजाकर कहती " दे -दे भाई " ... दे --दे दीदी। पर उस वक़्त किसी ने दे दिया तो किसी ने मुँह चिढ़ाकर कह दिया " अरे चल निकल " तो किसी ने कह दिया " अरे काम -वाम नहीं करते " ....  काम नहीं करना चाहते" दर्शको की तरफ ऊँगली कर के पुछा " क्या आप काम देते उस 16 साल की लड़की को ?... मैं सिर्फ दसवीं पास थी। ... जस्ट कान्वेंट स्कूल से पास आउट हुई थी।  सड़क पर थी। .. फैमिली नहीं थी।

"तब मेरी कम्युनिटी ने मेरा हाथ थामा और मेरा नाम रख दिया अमृता। ... बचपन में माँ - बाप ने सीख दी थी परवरिश दी थी कि  हमेशा हँसते रहो.... कितने भी पैर मैं घुंगरू थे तब भी हंसती रही। ... क्योकि पेट  भरना था। ... और अगर नहीं हसूँगी रोऊंगी तो कोई पैसा नहीं देगा। ... कोई कुछ नहीं करेगा। .. कोई साथ नहीं चलेगा। .."

" आप कॉलेज में पड़ते हों। .. आपने अपने - अपने  मम्मी -पापा को कन्विंस किया इंजीनियर की फीस भरने के लिए। .. पर मैं तो अपने मम्मी -पापा को कन्विंस भी नहीं कर सकती थी... कॉलेज  में दर - दर ढोकरे खाने से बहुत से बहाने मिले। ... सीट अवेलबल नहीं है। .. कैंडिडेट कम्प्लीट हो चुके है। .. "

पर आखिर में एक कॉलेज मिला जिसमे कहा गया कि आप पोस्ट ग्रेजुशन कर सकते हो पर एस ऐ गे  (as a gay) ...  क्या करती मैं तब। .. हालात से मजबूर थी। .. एक डिग्री चाहिए थी, एक सर्टिफिकेट चाहिए था। ..  जो समाज को बता सकू कि मैं आपकी बेटी हूँ और मुझे पढने का अधिकार है और कॉलेज में बैठने का अधिकार भी है।  "

तब गे बनकर मैंने अपना ग्रेजुएशन कम्पलीट किया फिर ऍम बी ऐ किया।  .... पर चार लाख कहा से लाती मैं ?...  न मेरे पास मम्मी थे न पापा थे। ... तब एक बार डांसर बनी मैं। .. "

"एक सीनियर जो मेरे कॉलेज में पढ़ते थे  देख लिया बार में।  अगले दिन कॉलेज पहुंची पता चला कि प्रोफेसर को बोला गया कि " सर हम उसके साथ नहीं पढ़ेंगे। .. उसके साथ नहीं बैठगे क्लासरूम में। ..  वो हमारे जूनियर के साथ भी बैठने लायक नहीं है क्योकि वो एक बार डांसर है। ... "

अपने सर को थोड़ा आगे लाकर दर्शको की तरफ देखते हुआ पुछा

"क्या बार डांसर होना गलत है। .. पर आज उस वक़्त समाज की नजर में मैं एक किंनर थी। ... मेरा  पूरा स्टेटस ओपन हो गया  था कि मैं एक किंनर  हूँ। .. कैसे - वैसे मेरे प्रोफेसर। .. जिसे हम कहते है गुरु ब्रह्म , गुरु विष्णु, गुरु देवम ,  गुरु परमेश्वर,  उन्होंने तक भी नोचा मुझे। .."  अपने दोनों पैर की  बीच और इशारा करते हुए आगे कहा...  " चलो शाम को उनका दिल बहलाती हों। .. यहाँ हमारा भी दिल  बहलाओ हम भी पैसा उड़ाऍंगे "  पर डिग्री भी जरूरी थी। .. क्योकि आज आपके सामने खड़े होने के लिए मुझे डिग्री भी जरूरी थी और अगर डिग्री ना होती तो कही जॉब भी नहीं कर सकती थी। ...  उस डिग्री के लिए मै पैरो में घुंगरू बांध कर नाचती थी। ...  क्यों पैसा ? ...  नहीं। .. वहा मुझे हाथो में डिग्री चाहिए थी। .. "

"जब डिग्री मिली तो जॉब नहीं था। .. आई हैवे बीन शॉर्टलिस्ड एस ऐ ट्रेनर , एस अ एच आर,  बट व्हाट नो वन वांट्स टू वर्क्स विद मी बिकाज आई ऍम अ  ट्रांसजेंडर।  ( I have been shortlisted  as a trainer, as a HR, but no one wants to work with me, because I am a transgender. I am hizra ... Where i get have proud of me, I can challenge any of the male or female that i have both the hearts.  )  मुझे चुना गया एक ट्रेनर के रूप में , एक अच् आर के रूप में , पर कोई काम नहीं करना चाहता था मेरे साथ क्योकि मैं एक किंनर थी। .. पर जहा मुझे गर्व है अपने आप पर और मैं चुनौती दे सकती हूँ किसी भी महिला और पुरष को क्योकि मेरे पास दोनों दिल है।  मैं दोनों को समझ सकती हूँ।  एक नारी को भी और नर को भी। .. "

दर्शको की  तालियों की गड़गड़ाहट और होसंला अफ़ज़ाई को देखते हुए  कुछ क्षण  रुकने के बाद, अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए अमृता ने फिर कहना जारी रखा।


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