लोन की स्टेटमेंट वेरीफाई कैसे की जाती है ?
Verification of Loan Statement
लोन की स्टेटमेंट वेरीफाई करने के कई तरीके है जिससे बैंक या फाइनेंसियल इंस्टीटूशन को यह समझने में सहायता मिलती है कि क़र्ज़ मांगने वाले व्यक्ति एवं संस्था अर्थार्त लोन अप्लाई करने वाले को क़र्ज़ की कितनी राशि दी जानी चाहिए या वह किसी भी क़र्ज़ या लोन के लिए पात्रता के मानदंड पर पूरा खरा भी उतरता है या नहीं।
आगे बढ़ने से पहले आप यह समझ ले की लोन की स्टेटमेंट और बैंक स्टेटमेंट की वेरिफिकेशन, यह दोनों ही अलग बाते है। लोन की स्टेटमेंट का सीधा सा अर्थ यह है कि किसी व्यक्ति या संसथान द्वारा लिया गया वह लोन जिसकी अदायगी हर महीने की एक तयशुदा तारीख को दी जाती है और यह आपके लोन अकाउंट का स्टेटमेंट कहलाता है। वह आपके अपने बैंक अकाउंट के माध्यम से लोन अकाउंट में ट्रांसफर किया गया हो अथवा वह चेक या कैश के माध्यम से क्रेडिट हुआ हो। जबकि बैंक अकाउंट का स्टेटमेंट वह कहलाता है जिसमे वह सभी ट्रांसेक्शन होती है जिससे आप रोजमर्रा के खर्च या बिल की पेमेंट आपके द्वारा किसी और को दी गयी हो और यह आपके बैंक से सम्पूर्ण विवरण प्राप्त किया जा सकता है जिसमे आपका खाता है।
लोन अकाउंट स्टेटमेंट केवल उस बैंक या फाइनेंसियल इंस्टीटूशन से ही आपको प्राप्त हो सकती है जहा से लोन अर्थार्त क़र्ज़ आपके द्वारा लिया है और इसमें समपूर्ण विवरण दर्ज़ होता है। इस विवरण में आपके द्वारा ली गयी राशि का विवरण के साथ -साथ उस पर लगने वाला ब्याज और बची हुई राशि आदि का विवरण आप देख सकते है।
जब कोई व्यक्ति या संस्था/कंपनी लोन के लिए बैंक या फाइनेंसियल इंस्टीटूशन में अप्लाई करता है तो जरूरी कागज़ात के साथ आपके द्वारा लिए गए पुराने लोन अकाउंट की स्टेटमेंट की आपसे मांग की जाती है जिसकी जाँच - पड़ताल करने के बाद यह फैसला लेने में आसानी हो जाती है कि आप कितने लोन अमाउंट की राशि को प्राप्त करने के लिए एलिजिबिलिटी अर्थात पात्रता रखते है।
हालिका कितनी राशि आपको अप्रूव की जा रही है यह कई और बातो पर भी निर्भर करती है जिसमे आपकी टोटल इनकम और खर्च के साथ पुराने लोन कि अदायगी के विवरण को देखने के बाद निर्धारित किया जाता है।
फार्मूला नंबर 1
सबसे पहले बैंक आपके नाम और पैन नंबर के आधार पर आपका सिबिल रिकॉर्ड चेक करता है और आपके द्वारा लिए गए सभी पुराने लोन के विवरण को और आपके द्वारा दिये गए विवरण को आपस में मिलान करता है और किसी भी प्रकार की विसंगति होने पर उस व्यक्ति या संस्था को सम्पर्क करने के बाद उसका विवरण माँगा जाता है। यदि सम्पूर्ण विवरण नहीं मिल पाता तो उस लोन को देने से मना किया जा सकता है।
ध्यान रखे आपके द्वारा लिए गए सभी लोन की हिस्ट्री के साथ कितनी बार लोन की इंस्टालमेंट लेट हुई और कितने दिन बाद आपने दी इन सब का विवरण हर महीने दर्ज़ किया जाता है और यह कई साल पहले का रिकॉर्ड भी हो सकता है।
आपके द्वारा लिए गए लोन अकाउंट स्टेटमेंट को सिबिल रिकॉर्ड से मिलान किया जाता है।
फार्मूला नंबर 2
आपके द्वारा उपलब्ध करवाये गए लोन स्टेटमेंट को वहा भेजा जाता है जहा से आपने पुराना लोन लिया था और वहा से इसका सम्पूर्ण मिलान किया जाता है जिसे एक वेरिफिकेशन एजेंसी वेरीफाई करती है।
फार्मूला नंबर 3
आपके द्वारा दिए गए लोन अकाउंट स्टेटमेंट और बैंक अकाउंट स्टेटमेंट को हर महीने उस तयशुदा तारीख पर इसका मिलान किया जाता है कि वह कब आपके बैंक खाते से डेबिट हुई और कब लोन स्टेटमेंट में क्रेडिट हुई।
इन सब ऊपर बताये तरीको से बैंक या फाइनेंस कंपनी / फाइनेंसियल इंस्टीटूशन आपके लोन स्टेटमेंट को एक वेरिफिकेशन एजेंसी के माध्यम से वेरीफाई करता है और उनकी रिकॉर्ड के बेसिस पर कार्यवाही निर्धारित की जाती है।
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