क्या कहा आई टी आर (ITR)  नहीं तो लोन नहीं ?


हो ही नहीं सकता !

यदि यह बात किसी लोन  एजेंट या बैंक के प्रतिनिधि ने आपसे कहा या आपने कही सुना तो ये जान ले कि यह सिर्फ आधा सच और आधा झूठ है,  कैसे!  आइए इसे ऐसे समझते है :-

सबसे पहले आप ये समझे कि  यदि आप का बिज़नेस उधार देने का हो तो आप उधार देने से पहले किन किन बातो के बारो में अपने ग्राहक के बारे में जानना चाहेंगे ?  आगे बढ़ने से पहले सोचिए जरूर ! 

1.  सबसे पहले आप यह जानना चाहेंगे कि कोन से व्यक्ति या संस्था ने आपसे उधार माँगा है, उसकी क्या पहचान है ? वह कहा निवास करता है ?

इसका उत्तर है उसका आधार कार्ड या वोटर आई  कार्ड जिसमे उसका नाम और रहने का पता दर्ज होगा 

2 . अब आप यह जानना चाहेंगे कि उधार या लोन क्यों लिया जा रहे है ? रुपयों का क्या प्रयोग होगा ? कही व्यक्ति को जुआ मे  तो नहीं उड़ाने या उन रुपये का प्रयोग किसी म्यूच्यूअल फण्ड या स्टॉक में तो नहीं होगा ,या इसका प्रयोग कही गलत तो नहीं होगा ? 

इसका उत्तर तो केवल ग्राहक  को ही देना होगा यदि आप या बैंक ग्राहक के उत्तर  से संतुष्ट हुआ तो कोई परेशानी नहीं होगी !

3. अब प्रश्न आयेगा कि कर्ज की अदायगी कैसी होगी यानि आज के समय उस व्यक्ति या संस्था  की इतनी इनकम है कि अपने खर्च को घटाने के बाद वह लोन की किश्त को दे पाये ?



इसका उत्तर तो केवल ग्राहक ही दे सकता है यहां पर हम अपने ग्राहक से यह जानने की कोशिश करेंगे कि उसने कितने की इनकम टैक्स रिटर्न भरी है ? क्योकि एक व्यक्ति की इनकम क्या है उसका विवरण तो इनकम टैक्स ररिटर्न भरी है ! मान लीजिए एक व्यापारी ने 5 लाख रुपए सालाना अपनी इनकम दिखाई है अब इसकी गणना मासिक  की जाएगी और उसमें से 50% उसके घर खर्च में मानकर बाकी रकम के अनुसार उसको लोन दिया जाएगा ! अब हम यहाँ दूसरा उद्धारहण लेते है !  एक कर्मचारी की सैलरी साठ हज़ार  रुपए महीना है तो उसका 50% तीस हज़ार रुपए होता है,  अब यहाँ नियमानुसार  तीस हज़ार के अनुसार  ही ई ऍम आई (EMI ) दी जाएगी और गणना करने पर जो लोन अमाउंट बनता होगा वह दे दिया जाएगा यानी तीस हज़ार के अनुसार 30 लाख का होम लोन दिया जा सकता है 20  साल के लिए या 20 लाख का लोन  उसको अपनी ही प्रॉपर्टी गिरवी रखने पर उसके बिज़नेस के लिए दिया जा सकता है 10 से 12 साल के लिए ! यही नियम मोटे तौर पर बैंक अपनाता है ! 







4 .  अब यह नया प्रश्न आता है कि किसी व्यापारी के पास अगर आइटीआर ITR  नहीं है तो लोन कैसे होगा ? उसकी इनकम को कैसे कैलकुलेट करेंगे ? 


इसका सरल सा उत्तर है उसकी बैंक स्टेटमेंट !  एक व्यापारी का अपना करंट अकाउंट होता है इस नियमानुसार कर्ज देने वाला बैंक हर महीने की 1 तारीख 5 तारीख 10 तारीख 15 तारीख 25 तारीख और 30 तारीख यानी महीने का आखरी दिन,  इन तारीखों पर जो भी बैलेंस होता है उनको आपस में जमा करने के बाद एवरेज निकलता है!  यहाँ  मान लीजिए एवरेज पचास हज़ार का आता है और अगले पांच महीने का भी एवरेज को देखने के बाद साठ हज़ार रुपए बना तो इसका 50 %  बनता है  तीस हज़ार और तीस हज़ार  की गणना से लगभग 30  लाख का  होम लोन बनता  है या व्यापारी की अपनी प्रॉपर्टी पर लगभग 20  लाख का लोन उसके  बिज़नेस को बढ़ाने के लिए दिया जा सकता है 10 से 12 साल  के लिए ! लेकिन हर बैंक के क़र्ज़ देने के अपने-अपने नियम है किसी में यह नियम है तो किसी में नहीं , या इसी तरह के ऊपर दिए गये नियमो में आंशिक बदलाव करके लोन दिया जाता  है ! अगर न समझ आये तो कमैंट्स बॉक्स में जाकर पूछ सकते है !

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