सोसाइटी मेंबर बनाकर लोन के लालच का खेल



नमस्कार दोस्तों आज आपके लिए लोन सम्बन्धी वित्तयी भ्रष्टाचार से जुड़ी एक और खबर के लिए आपका ध्यान आकर्षित कर  रहे है। जैसा कि आप जानते हैं सरकार जन कल्याण हेतु कई प्रकार की योजनाएं लाती रही है, लेकिन  समय के साथ -साथ अपने स्वार्थ और लालच की वजह से उसका स्वरूप और मायने बदल दिये जाते है और एक नई परिभाषा के तहत जनता के सामने प्रसारित किया जाता है, जिन्हे कम पढ़े लिखे लोग इसे समझ नहीं पाते और यही जन्म होता है एक नए भ्र्ष्टाचार के राक्षस का। 

आज हम बात कर रहे हैं मल्टी स्टेट को ऑपरेटिव सोसाइटी एक्ट 2002 की। इस एक्ट के स्वरूप को जन कल्याण के लिए संशोधित किया गया 3 जुलाई 2002 को (The Multi State Cooperative Societies ACT 2002 (39 of 2002).।  जिसका विवरण आप भारत सरकार की वेबसाइट  https://mscs.dac.gov.in/ पर जाकर आप देख सकते है।  लिंक के लिए यहाँ क्लिक करे   

इस सोसाइटी की मुख्य उदेशय एक से अधिक राज्यों में अपने सदस्यों के हितों की सेवा करना है और सोसाइटी के उपनियमों को सहकारी सिद्धांतों के अनुसार स्व-सहायता और पारस्परिक सहायता के माध्यम से अपने सदस्यों के सामाजिक और आर्थिक बेहतरी के लिए सहायता प्रदान करना है । लेकिन  यदि वे ऐसी वस्तु या सेवा प्रदान नहीं करते हैं, तो वे पंजीकरण के लिए अयोग्य माने जायेगे।

इसमें वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए, व्यापक प्रावधान लागू किए गए हैं। शुद्ध लाभ के अलावा फंड का कोई भी हिस्सा सदस्यों के बीच वितरित नहीं किया जाता । मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी मान्यता प्राप्त प्रतिभूतियों में निवेश (investment in recognized securities ) कर सकती है। बहु-सहकारी समिति के मामले में राजनीतिक दलों को योगदान या गैर-सदस्यों को ऋण या बाहरी स्रोतों से ऋण लेना प्रतिबंधित है। मान्यता प्राप्त लेखा परीक्षकों द्वारा वार्षिक लेखा परीक्षा अनिवार्य है। कुछ मामलों में केंद्र सरकार विशेष ऑडिट के लिए निर्देश दे सकती है यदि वे इस विचार के हैं कि समाज के मामलों को सहकारी सिद्धांतों या विवेकपूर्ण वाणिज्यिक प्रथाओं के अनुसार संचालित / प्रबंधित नहीं किया जा रहा है।
इस तरह सरकार द्वारा इसका उदेशय केवल जन कल्याण हेतु था लेकिन कई को -ऑपरेटिव सोसइटी द्वारा इसका लालच और स्वार्थ हेतु गरीब वर्ग का शोषण किया जा रहा है।  सोसाइटी के मेंबर बनाने के लिए बकायदा उनसे फीस ली जाती है और मेंबर बनने के बाद उन्हें वित्तीय सहायता यानि लोन देने का लालच दिया जाता है जिसे बाद मे कोई न कोई बहाना बना कर लोन के लिए मना कर दिया जाता है।  इस तरह से ठगी का खेल चलता रहता है।  इस तरह का खेल को बढ़ाने के लिए स्थानीय व्यक्ति को सोसाइटी का सदस्य बनवाने के लिए प्रति व्यक्ति कुछ रुपयों के कमीशन का लालच दिया जाता है।  हालिका भारतीय सरकार समय समय पर कार्यवाही करती रही है पर सूचना के आभाव मे अभी भी जनता में जागरूकता नहीं है।  रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने एक लिस्ट मार्च 2018 मे जारी की थी  जिसमे गैर कानूनी रूप से धन का लेन -देन करने वाली को - ऑपरेटिव सोसाइटी के नाम दिये गये है।  जिसका विवरण नीचे  दिया जा रहा है।

उत्तराखंड ग्रामीण मुस्लिम फण्ड ट्रस्ट 
आराध्या कंस्यूमर सेल्स 
रिलायंस को - ऑपरेटिव बैंक 
जनशक्ति मल्टी स्टेट मल्टी पर्पस को -ऑपरेटिव सोसाइटी 
धेनु - एग्रो प्रोडूसर कंपनी 
एवरग्रीन एग्रो मल्टी स्टेट मल्टी परपस को -ऑपरेटिव सोसाइटी 
यूनाइटेड एग्रो लाइफ  इंडिया लिमिटेड 
क्विलटी फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड 
ग्लोबल ग्रामर सेल्स प्राइवेट लिमिटेड 
 ईजी गोल्ड स्टोर 
ग्लोबलटेक फाइनेंस 
सोशल म्यूच्यूअल बेनिफिट कंपनी लिमिटेड 
ताज इंटरनेशनल रियल टेक


इनमे से कुछ अभी भी गैर - कानूनी रूप मे काम कर रही है। 

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